‘मैंने तुमसे हमेशा बेहद मुहब्बत की है, इससे बड़ा सत्य कुछ नहीं है।
और यह प्यार के पवित्र रंग में तुमको लिखा हुआ मेरा आख़िरी संदेश है, यह बताने के लिए कि मैं तुम्हारे लिए ही ज़िंदा था और तुम्हारे लिए ही मर रहा हूँ।
इस रंग से पवित्र, गहरा और सच्चा कुछ भी नहीं।
यह मत समझना कि सब लोग एक जैसे होते हैं, कुछ लोग पागल होते हैं।
मेरी शुभ कामनाएँ हमेशा तुम्हारे साथ हैं। मैं अपनी ज़िन्दगी दे रहा हूँ ताकि तुम ख़ुश रह सको। मैंने हमेशा तुमसे प्यार किया है और अब मैं उस प्यार को अपने साथ ले कर जा रहा हूँ। अब तुम मुझे कभी नहीं मिल पाओगी।’
वह 2015 का वसंत का महीना था, जब आहाना ने यह संदेश अपने फ़ोन पर देखा। वह ख़ून से लिखे हुए एक ख़त की तस्वीर थी, जिसे देख कर उसका दिल दहल गया था।
‘उसने ऐसा क्यूँ किया? मैं अपने माता-पिता को क्या और कैसे बताऊँगी?’ यही सब विचार उसके दिमाग में चल रहे थे। सब कुछ ख़त्म हो गया था। उसकी ज़िंदगी के सबसे महत्वपूर्ण इंसान ने उसे सबसे ज़्यादा चोट पहुंचाई थी। वह अपने प्यार के रिश्ते में हार गयी थी और सदमे में थी।
कुछ ही मिनटों में, आहाना को उसके नम्बर से फ़ोन आया।
‘हेलो,’ आहाना ने बेचैनी से कहा।
‘हेलो, मैडम,’ सामने वाले व्यक्ति ने हरियाणवी भाषा में कहा।
‘आप कौन हो? यह फ़ोन आपके पास कैसे है?’ आहाना ने डरते हुए पूछा।
‘मैडम, मैं रास्ते से जा रहा था तो मैंने ख़ून से लथपथ इस आदमी को देखा। मैं उसी के फ़ोन से आपसे बात कर रहा हूँ क्योंकि आपका नम्बर ही आख़िरी बार इस फ़ोन से मिलाया गया था।’
‘क्या हुआ? क्या वह ठीक़ है? कृपया, जल्दी बताइए?’ आहाना ने हड़बड़ाते हुए पूछा।
‘मुझे नहीं पता क्या हुआ। मैं तो बस फ़रीदाबाद-गुड़गाँव सड़क से जा रहा था और मैंने इस आदमी को बेहोश देखा। इसने अपनी कलाई काट ली है।’
‘हे भगवान। क्या आप कृपया उसे अस्पताल ले कर जा सकते हैं? मैं आपसे बिनती करती हूँ,’ आहाना ने रोते हुए कहा।
‘मैडम, यह पुलिस का मामला है, मुझे इसमें नहीं पड़ना। मैं आपकी कोई मदद नहीं कर सकता। मेरा काम आपको बताना था और वह मैंने कर दिया है। बाक़ी आप संभालो।’
‘भैया, मैं आपके हाथ जोड़ती हूँ, कृपया, मेरी मदद करो। मैं अभी देश से बाहर हूँ, और वहाँ नहीं आ सकती। मेरे पास उसके परिवार में से किसी का भी फ़ोन नम्बर नहीं है, जो मैं उनको ख़बर दे दूँ। कृपया, आप उसे नज़दीकी अस्पताल ले जाइए या फिर 100 नम्बर पर फ़ोन करके पुलिस को बता दीजिए, ताकि वे कुछ मदद कर सकें। मैं आपकी बहुत आभारी रहूँगी।’
‘अरे, मैडम, यह पुलिस का मामला है, मुझे इसमें नहीं पड़ना।’
‘कृपया, भैया, कृपया, मदद कीजिए। मैं आपसे सच्चे दिल से निवेदन करती हूँ। कृपया, हम दोनों की मदद कीजिए।’
‘ठीक़ है, क्योंकि आप बहुत बिनती कर रही हैं, मैं इसको अस्पताल ले जाता हूँ। अगर पुलिस आयी तो आपको संभालना होगा। मैं पुलिस को आपका नम्बर दे दूँगा।’
‘जी भैया, कृपया, अस्पताल पहुँच कर मुझे बता दीजियेगा।’
‘ठीक़ है, मैं अब अस्पताल के लिए निकलता हूँ।’
‘जी भैया, आपका बहुत बहुत शुक्रिया।’
एकदम सन्नाटा था। आहाना का दिल तेज़ी से धड़क रहा था। वह बहुत डरी और घबरायी हुई थी। वह अकेली थी और उसके पास बात करने वाला कोई नहीं था। उसका दर्द असहनीय था। वह उसके बारे में सोचते हुए रो रही थी।
‘वह ऐसा कैसे कर सकता है?’ उसने अपने आप से पूछा।
‘मुझे यक़ीन नहीं हो रहा कि यह मेरे साथ हो रहा है। मेरे साथ ऐसा क्यूँ हुआ? क्या मैं इतनी बुरी हूँ कि मेरी किस्मत में यह लिखा था? मैंने किसी का क्या बिगाड़ा था? क्या मुझे जीना चाहिए या मर जाना चाहिए? बोलो भगवान, क्या मुझे मर जाना चाहिए?’ वह छत की तरफ़ देखते हुए चिल्लायी।
‘हाँ, मुझे मर जाना चाहिए। कोई मुझे प्यार नहीं करता। मैं एक दम अकेली हूँ। किसको मेरी ज़रूरत है? किसी को नहीं। मुझे मर जाना चाहिए।’
वह अचानक उठी और रसोई की तरफ़ चिल्लाते हुए बढ़ी। उसके रास्ते में जो भी सामान आया, उसने उसे ज़ोर से फैंका या लात मारी।
‘चाकू कहाँ है? कहाँ है चाकू? अब मुझे मेरे ही घर में चाकू क्यूँ नहीं मिल रहा? आख़िर, क्या हो गया है मुझे? मेरी ज़िंदगी ख़त्म हो गयी है,’ वह चिल्लायी।
‘मेरी ज़िंदगी ख़त्म हो गयी है। अब और कुछ नहीं बचा। कुछ भी नहीं। मैं इस दुनिया में बिलकुल अकेली हूँ,’ उसने चीख़ते चिल्लाते हुए कहा।
‘एक दम अकेली। कोई नहीं है मेरे साथ।’